Swati Sharma

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लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -2)

हमारी शुभकामनाएं:-

भाग 2:-

सावन के मंगलवार:-

                 जिस प्रकार सावन मास के सोमवारों में शिवजी की पूजा- अर्चना की जाती है। उसी प्रकार सावन मास के मंगलवारों में मां पार्वती की मंगला गौरी मां के रूप में पूजा- अर्चना की जाती है, जो कि सुख, समृद्धि, सौभाग्य एवम संतान प्रदायिनी मानी जाती है। वैसे तो इस पूजा को दो प्रकार से किया जा सकता है। पहला - 5 साल तक हर श्रावण मास के मंगलवार को। प्रारम्भ में लड़की यह पूजा अपने मायके में करती है और बाकी के 4 श्रावण मास के मंगलवारों को अपने ससुराल में। कई महिलाएं इस व्रत एवम पूजन को मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति हेतु भी करती हैं।
                 दूसरा - इस व्रत एवम पूजन को पूरे एक वर्ष तक यानि श्रावण मास के पहले मंगलवार से आरंभ करते हुए अगले साल के श्रावण मास के आख़िरी मंगलवार तक करते हुए। उसी दिन उद्यापन कर संपन्न की जाती है।
                 इस पूजा में मिट्टी की शिला को मां मंगला गौरी का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है। इसमें 16 श्रृंगार एवम सुहाग का सामान, 16 फूल - पत्ते (अलग या एक ही प्रकार के), 16 लड्डू और जो भी सामग्री चढ़ाते हैं, जहां तक संभव हो 16 की संख्या में मां को अर्पित की जाती है। एक साड़ी, चुनर (जहां तक हो लाल रंग की सामग्री हो) मां को अर्पित की जाती है। सफेद प्रसाद मां का प्रिय भोग माना जाता है। दक्षिणा चढ़ाई जाती है। षोडश (16) मातृका एवम नव ग्रहों का निर्माण पाटे पर करते हुए। कलश स्थापना कर उसका पूजन, गणेशजी एवम शिवजी का पूजन करते हुए। बुधवार के दिन सभी सामग्रियां दान करते हुए मिट्टी की मातारानी की शिला को जल में प्रवाहित कर पूजन संपन्न किया जाता है।
                 इसी प्रकार हर मंगलवार को मां की मिट्टी की शिला की उपर्युक्त विधि से पूजा कर अगले दिन बुधवार को बहते जल या अपने ही बगीचे या गमले की मिट्टी में विसर्जित किया जाता है। अतः आख़िरी मंगलवार को उद्यापन में 16 सुहागनों को भोजन करवाकर यथा शक्ति सुहाग सामग्री दान की जाती है।
                  यह सभी विधि सीमा की मौसी ने सीमा को समझाई। सीमा ने उनके मार्गदर्शन में बताई गई विधि से पूजा की एवम मां से मनचाहे वर, सुख समृद्धि एवम सुयोग्य संतान प्राप्ति की इच्छा से पूजन किया। मां के आशीर्वाद से अगले वर्ष उसका विवाह उसके मनचाहे वर से संपन्न हुआ। एवम उसने बाकी के 4 वर्ष ससुराल में इस पूजन को करते हुए यथाविधि उद्यापन कर दान दक्षिणा दी। विवाह के कुछ वर्ष पश्चात् उसके एक सुयोग्य संतान उत्पन्न हुई। आज मां की कृपा से उसका एक खुशहाल परिवार है, जिसमें उसके पति, एक पुत्र एवम एक पुत्री है।
                 आज भी वह मां मंगला गौरी से हर श्रावण मास के मंगलवार मंदिर जाकर सभी के स्वास्थ्य एवम खुशहाली हेतु प्रार्थना करना नहीं भूलती। ईश्वर सदैव हमें इच्छित फल प्रदान करते हैं। यदि कभी नहीं करते तो भी हमें सदैव उनका शुक्रगुजार होना चाहिए। क्योंकि जो मन का हो वह अच्छा और जो मन का ना हो वह और भी अच्छा होता है। क्योंकि उसे ईश्वर ने हमारे लिए चुना है। अतः ईश्वर अपनी संतान के लिए कभी बुरा नहीं चाह सकते। उनके देने के तरीके बहुत ही अलग एवम अद्भुत होते हैं। बस हमें समझने में थोड़ा विलंब हो जाता है।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

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8 Comments

Palak chopra

09-Nov-2022 04:03 PM

Shandar 🌸🙏

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Swati Sharma

10-Nov-2022 08:53 PM

Thank you

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Mithi . S

09-Nov-2022 11:20 AM

बेहतरीन रचना

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Swati Sharma

09-Nov-2022 12:13 PM

आपका हार्दिक आभार

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Khan

08-Nov-2022 11:35 PM

Bahut khoob 😊🌸

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Swati Sharma

08-Nov-2022 11:51 PM

Thank you 🙏🏻😊

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